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हमर गाम : सुखक सागर

6 September 2023

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हम मिथिला के वासी अपन  गाम समाज सँ बड बनाव राखै छी . इ  त सब लोकैन के बुझैत हायत. हमरा पुछु त हमर गाम हमरा बड सोहाईय. गामक लोग , गामक बयार, गामक  व्यवस्था, गामक समाज, खेत खलिहान सब मन मोह लई छई . 

 आब हम अपन गाम चलबई .

हम अहाँ लोकनि के सन 1998 के व्यवस्था अउर  ओकर हार्दिक आनंद के ओर  ल जाई छी.                   

अखन हम छठा में  पढ़ैत रहियै .   घर में ......................परिवारक गप हम नई करब.  ट्रेन आइब गेलै . हम सभ भाई बहिन  , माय बाबूजी ट्रेन पर कहूना जे छै चैढ गेलियै. सीट भेटलै  लेकिन जनसंख्या मुताबिक नई, बस बुझियौ जे गामक जायके के जे ख़ुशी छै चरम पर छै.  मुजफ्फरपुर के नजदीक हमर गाम छई.  मुजफ्फरपुर  के एक दू स्टेशन पहिने हम सभ उतैर जाए छियै . 

लेकिन उतरS स S पहिने हम ट्रेन के बारे में त अहाँ सभ के किछ नै बतैनौ . 

त आब जे छै हम सभ गोटा ट्रेन में  कहूना बइस गेलियै.  ट्रेन में एक और आनंद छै. गर्मी के समय ऊपर से सामान्य वर्गSक COACH रहे. भीड़ नई पुछु खचा खच.  पैरो पर लोग अपन असइन ज़मैंने छलखिन . हमर,  आओर  दोसर सीट पर  बैसल लोगनि के पैर त चटनी बनS सS बैच गेलै. ओहि में  एगो    जहरमुहा बांस के बरका  टोकरी ल के चैढ  गेल. लेकिन तैयो हम सभ आनंद में रहिये  .  एकटा बात त नSई बतइलौं . ऊपर सामान के बदला लोग सभ आसन  लगौने छल . एकटा खैनी खाय बला आदमी बुझू जे रहइ  रहइ  क खैनी बनावै छल.  ऊपर सS खैनी के गर्दा मुहें पर  गिर जाइ छल.  टोकल कोई फर्क नSई   परलै.  अंत में हुनका एक सज्जन बढियाँ स S मधुरवाणी द देलखिन तखन सS खैनी महराज सीधा भ  गेलैन . मधुरवाणी के  माने त अहाँ लोगनि   बुइझ गेल हैबइ . दू  घंटा के बाट में खैनी बिसैर गेलखिन. 

इम्हर ट्रेन अपन कछुआ चल सS आगा निकलय  जाय छल. मन के बात कहु - ओहि समय के मजा मस्ती जिंदगी भर  याद रहे छै.  अभाव में भी जे छै -  सम्पूर्णता के स्थिति .  

क्रमशः ...............................................  फेर मिलब अखन ट्रेन सS नSई उतरल छियै. उतैरकS फेर आगा बढब .

अहि बीच में की कहू, अचानक ट्रैन रुइक गेल। उहो एक अलग अनंदक गप भ गेल। देखलौं की 5-6 आदमी के अपन गाम जाएके रहल। ताई स हुनकर सब के उ व्यवस्था छल। ओइ समय में रेलगाड़ी के समय पर पहुँचनाइ बुझु जे जश्न के बात छल। आधा घण्टा लगभग भ गेल। ट्रेन के चलs के कोई सुरसार नई।

आब निकैल गेल -रेलगाड़ी।

अपन गति में जोर लगेने आगा बढ़ रहल अइछ। हमर गामक टिशन आबS में बस कनिका काल छै।

एहि काल में देखलौं की आब रेलगाड़ी धीरे भ गेल। हमर सभ के खुशी के ठिकाना नsई। पप्पा कहलखिन सभ कोई सीट स गेट पर आइब जाउ। रेलगाड़ी रूकs  स पहिने देखलौं जे हमर गाम के घोड़ा गाड़ी वाला टिशन पर पहिने स छलाह। हमर बाबा हुनका पहिनेही खबर क देने छलखिन। रेलगाड़ी रूकी गेल। आब जब उतरs के समय भेल तS गेट पर मैल छोड़ाव वाला भीड़ में हिम्मत क कS उटरलौ। 

गाम स बाबा दूटा और जन बनिहार के समान उतारS ला भेजने रहथिन। उ दुन्नू पप्पा के हाथ स समान ल क घोड़ा गाड़ी पर ध क निकैल गेल खिन। हम सभ, घोर गाड़ी स टिशन स गाम के लेल निकैल गेलौं। टिशन स हमर गाम जाय में पन्द्रह मिनट लगै छै- लगभग। ओइ काल के सड़क भी पता नई चलै छल। बुझाई छलै की खेत में गाड़ी चलैत- चलैत माटी चिकन भ गेल छलै उहे सड़क भ गेलै। गाम जाय के खुशी में हमरा सभ के सडक़ के कोई चिंता नई रहै। बस गाम जाय के मन मे एक अलग उमंग।

क्रमशः...............!

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