मैथिली लोकगीत अपनामे लोकजीवनक संस्कार,आचार-विचार,विधि-व्यवहारकेँ समेटने रहैत अछि।लोकगीत लोकक बीच स्नेह,भ्रातृत्व,सामूहिक जीवनक उल्लास एवं समरसताकेँ बढ़बैत अछि।ई लोककेँ अपन संस्कारक प्रति सचेष्ट एवं धर्मोन्मुख करैत अछि।लोकगीत दुःख-दारिद्र्य,नैराश्यक प
Maithili short story by Maneshwar Manuj Read more
Je Kahi Nahi Saklahun is a collection of maithili Ghazals about the subtle experiences in life. These ghazals also reflect human compassion and sensitivity in the existing scenario and also the orientation towards the modern philosophy of life. Rea
— की भ’ रहल छैक मास्सैब? — सरकारी फंडसँ पोथी सभ किनलियैक अछि। तकरे सैंत क’ बक्कसमे बन्न क’ रहल छियैक यौ। — बच्चा-बुतरूकेँ पढ़’ लेल ने दितियैक? — नहि यौ! फाटि-चिट जेतैक आ हेरा-ढेरा दै जाइ जेतैक त’ जाँचबला हाकिमकेँ की जबाब देबै ? कह’ लागत जे बलु मास्टर
नारायणजी मैथिलीक महत्वपूर्ण कवि छथि। 'कोनो टूटल अछि तन्तु' हिनक पाँचम कविता संग्रह थिक। ई मनुष्यताक क्षरणकेँ अपन कविताक मुख्य विषय बनौने छथि। हिनक कवितामे हर्ष-विषाद, सुख-दुख आ आशा-निराशाक बीच करुणासँ भिजैत मनुष्यक दर्शन होइत अछि। हिनक कवितामे प्रकृत
कथा लिखबाक क्रम मे ओकर शिल्प आ शैली पर विशेष ध्यान एहि बातक राखल जे आकार छोट रहैक। यथासम्भव संवाद द्वारा सबटा बात केँ फरिछा देल जाइक। कथा मे बेसी उतार-चढ़ाओ नहि होइक मुदा परिदृश्य एहेन रहैक जाहि सँ एकर अन्त बुझबाक लेल पाठकक जिज्ञासा बनल रहैक... आ संगह
Collection of Maithili poems by Mahaprakash Read more
लघुकथाक मूल तत्व छैक व्यंग्य । व्यंग्यक धार जतेक चोखगर, लघुकथा ओतबे सफल। आ ताहि लेल लघुकथाक आकारपर कोनो निर्भरता नहि होमक चाही। हँ, इहो पाओल जाइत अछि जे व्यंग्य सिरज'मे कथाकारपर हास्य हाबी भ' जाइत छैक। ई एकटा खतरनाक स्थिति होइत छैक। एहिसँ कथाकारकेँ ब
अभिषेक जीक कविता सभ पाठककें संवेदनशील बनबैत अछि। अपन सहज प्रस्तुति आ सरल शब्दक संग कविता सभ कथ्यकें पाठक धरि सुगमतासँ पहुँचेबामे पूर्ण सक्षम अछि। अपन सहज प्रवाह आ प्रचलित शब्द विन्यासमे कविता पाठककें चिंतन पर बाध्य करैत अछि। आ ई सभटा मिलि कविताकें सफ
अपन रचनामे नव-नव कथावस्तु आ भाव-भूमि तकैत रहब जिनक लेखनक स्वाभाव छनि। नव-नव आ अद्यतन विषयसभकेँ प्रमुखतासँ अपन रचनामे समाहित कएनिहार मैथिलीक विरल साहित्यकार प्रदीप बिहारीजीक उपन्यास ‘मृत्युलीला’ विश्वक चर्चित महामारी ‘कोरोना’क त्रासदी पर केन्द्रित अछि
मैथिलीओ मे हमरा जतेक पढ़ल बुझल अछि रामक समानान्तर भरत सन महानायक पर आइ धरि अत्यल्पहि लिखाएलय। एहना मे कवि सतीश जी एकटा विशेष अभावक सृजनात्मक आपूर्ति कयलनि अछि। काव्य पंडित शास्त्री समेत आधुनिक पाठक समाज एहि काव्यग्रंथक स्वागत अवश्ये करथिन से हमरा आशा
हमरा सभक सोझाँ ऋषि बशिष्ठ जीक नव रचना नाटक के रूपमे ‘सिया के सकल देखि’ आयल अछि । ई नाट्य रचना मिथिला समाजक गाम – गाम आयोजित रामलीला कम्पनीक आयोजन के बहन्नी निर्मित भेल अछि । गाममे महीना भरि आयोजित रामलीला के दौरान गामक बनैत – बिगडैत स्थिति – परिस्थित
हास्य व्यंग्य सम्राट हरिमोहन झाक सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यंग्य पुस्तक. ई ओ कृतिकार छथि जिनका पढ़बा लेल कतेको गोटे मैथिली दिस उन्मुख भेलाह. दही चूड़ा चीनी, माछक महत्व हो आकि ब्रह्मानंद आ शास्त्रक वचन आकि आयुर्वेद, रामायण, महाभारत आदिक खट्टर कका द्वारा कयल अ
अनुप्रास प्रकाशन समूह अपन आरम्भहिसँ पोथी प्रकाशनक क्षेत्रमे नव-नव आयाम जोड़बाकलेल प्रयत्नशील रहल अछि। पूर्वमे प्रकाशित एहि प्रकाशनक पोथीसभकेँ पाठक आ लेखकलोकनिक अपार सिनेह भेटल अछि। एहि क्रममे प्रस्तुत अछि प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक प्रा. रामावतार यादवक 80
Maithili poems by krishna mohan jha Read more
A Maithili Novel Read more
‘कबीर आ हुनक मैथिली पदावली’मे पहिल बेर कबीरपर व्यवस्थित ढंगसँ विचार कएल गेल अछि जाहिमे एखन धरि भेल शोध सभक परिणाम संग नवीन विषय संधानपर सेहो पर्याप्त विचार प्रमाण पुरस्सर भेल अछि। अत्यन्त सजगताक संग वियोगीजी कबीरक मैथिली पदावलीक संकलन एवं पाठोद्धार क
श्रीमधुपजी स्वभावत: कवि हैं। कविता की रचना इनका स्वभाव हो गया है और अब तो इसे इनका व्यवसाय कहें तो भी अत्युक्ति नही। सहजात कवित्व-प्रतिभा को पुष्ट कर इन्होंने इतनी रचनाएँ की हैं कि वर्तमान कवि-मंडली में परिमाण में भी सब से उत्कृष्ट इनकी कृतियाँ ही कह