झारखण्ड सरकारमे डिविजनल कमाण्डेंटक पदसँ सेवानिवृत्त मैथिली आ हिंदीक प्रतिष्ठित कवि, कथाकार आ उपन्यासकार श्याम दरिहरे जीक तीन गोट कथा-संग्रह ‘सरिसोमे भूत’, ‘बड़की काकी एट हॉट मेल डॉट कम’ आ ‘रक्त सम्बन्ध’ प्रकाशित आ प्रशंसित कृति छनि। उपन्यास ‘घुरि आउ
झारखण्ड सरकारमे डिविजनल कमाण्डेंटक पदसँ सेवानिवृत्त मैथिली आ हिंदीक प्रतिष्ठित कवि, कथाकार आ उपन्यासकार श्याम दरिहरे जीक तीन गोट कथा-संग्रह ‘सरिसोमे भूत’, ‘बड़की काकी एट हॉट मेल डॉट कम’ आ ‘रक्त सम्बन्ध’ प्रकाशित आ प्रशंसित कृति छनि। उपन्यास ‘घुरि आउ
श्रीमधुपजी स्वभावत: कवि हैं। कविता की रचना इनका स्वभाव हो गया है और अब तो इसे इनका व्यवसाय कहें तो भी अत्युक्ति नही। सहजात कवित्व-प्रतिभा को पुष्ट कर इन्होंने इतनी रचनाएँ की हैं कि वर्तमान कवि-मंडली में परिमाण में भी सब से उत्कृष्ट इनकी कृतियाँ ही कह
श्रीमधुपजी स्वभावत: कवि हैं। कविता की रचना इनका स्वभाव हो गया है और अब तो इसे इनका व्यवसाय कहें तो भी अत्युक्ति नही। सहजात कवित्व-प्रतिभा को पुष्ट कर इन्होंने इतनी रचनाएँ की हैं कि वर्तमान कवि-मंडली में परिमाण में भी सब से उत्कृष्ट इनकी कृतियाँ ही कह
कविता : भाषा, भाव और व्याकरण की त्रिवेणी से अवतरित होती है जिसमें कालांतर में घटने वाले प्रकरण या व्यावहारिक सोच-विचारादि का बिम्बित होना स्वाभाविक है। मधुयामिनी काव्य में वर्तमान युगीन कवि के द्वारा रीतिकाल सदृश कल्पना की अभिव्यंजना एवम् भावाभिव्यंज
कविता : भाषा, भाव और व्याकरण की त्रिवेणी से अवतरित होती है जिसमें कालांतर में घटने वाले प्रकरण या व्यावहारिक सोच-विचारादि का बिम्बित होना स्वाभाविक है। मधुयामिनी काव्य में वर्तमान युगीन कवि के द्वारा रीतिकाल सदृश कल्पना की अभिव्यंजना एवम् भावाभिव्यंज
Je Kahi Nahi Saklahun is a collection of maithili Ghazals about the subtle experiences in life. These ghazals also reflect human compassion and sensitivity in the existing scenario and also the orientation towards the modern philosophy of life. Rea
Je Kahi Nahi Saklahun is a collection of maithili Ghazals about the subtle experiences in life. These ghazals also reflect human compassion and sensitivity in the existing scenario and also the orientation towards the modern philosophy of life. Rea
— की भ’ रहल छैक मास्सैब? — सरकारी फंडसँ पोथी सभ किनलियैक अछि। तकरे सैंत क’ बक्कसमे बन्न क’ रहल छियैक यौ। — बच्चा-बुतरूकेँ पढ़’ लेल ने दितियैक? — नहि यौ! फाटि-चिट जेतैक आ हेरा-ढेरा दै जाइ जेतैक त’ जाँचबला हाकिमकेँ की जबाब देबै ? कह’ लागत जे बलु मास्टर
— की भ’ रहल छैक मास्सैब? — सरकारी फंडसँ पोथी सभ किनलियैक अछि। तकरे सैंत क’ बक्कसमे बन्न क’ रहल छियैक यौ। — बच्चा-बुतरूकेँ पढ़’ लेल ने दितियैक? — नहि यौ! फाटि-चिट जेतैक आ हेरा-ढेरा दै जाइ जेतैक त’ जाँचबला हाकिमकेँ की जबाब देबै ? कह’ लागत जे बलु मास्टर
एहि संग्रह मे समयानुसार बदलैत लेखकक विभिन्न मन:स्थिति आ परिस्थिति मे सृजित कविताक संकलन अछि जाहि मे कतहु प्रणयाकुल ओ विरहाकुल नायक/नायिकाक आंतरिक उल्लास वा मनोव्यथा केर शब्दांकन भेटत तँ कतहु वर्तमान सामाजिक ओ राजनैतिक विसंगति पर चोट करैत भावक अनुभूति
एहि संग्रह मे समयानुसार बदलैत लेखकक विभिन्न मन:स्थिति आ परिस्थिति मे सृजित कविताक संकलन अछि जाहि मे कतहु प्रणयाकुल ओ विरहाकुल नायक/नायिकाक आंतरिक उल्लास वा मनोव्यथा केर शब्दांकन भेटत तँ कतहु वर्तमान सामाजिक ओ राजनैतिक विसंगति पर चोट करैत भावक अनुभूति
अभिषेक जीक कविता सभ पाठककें संवेदनशील बनबैत अछि। अपन सहज प्रस्तुति आ सरल शब्दक संग कविता सभ कथ्यकें पाठक धरि सुगमतासँ पहुँचेबामे पूर्ण सक्षम अछि। अपन सहज प्रवाह आ प्रचलित शब्द विन्यासमे कविता पाठककें चिंतन पर बाध्य करैत अछि। आ ई सभटा मिलि कविताकें सफ
अभिषेक जीक कविता सभ पाठककें संवेदनशील बनबैत अछि। अपन सहज प्रस्तुति आ सरल शब्दक संग कविता सभ कथ्यकें पाठक धरि सुगमतासँ पहुँचेबामे पूर्ण सक्षम अछि। अपन सहज प्रवाह आ प्रचलित शब्द विन्यासमे कविता पाठककें चिंतन पर बाध्य करैत अछि। आ ई सभटा मिलि कविताकें सफ
नारायणजी मैथिलीक महत्वपूर्ण कवि छथि। 'कोनो टूटल अछि तन्तु' हिनक पाँचम कविता संग्रह थिक। ई मनुष्यताक क्षरणकेँ अपन कविताक मुख्य विषय बनौने छथि। हिनक कवितामे हर्ष-विषाद, सुख-दुख आ आशा-निराशाक बीच करुणासँ भिजैत मनुष्यक दर्शन होइत अछि। हिनक कवितामे प्रकृत
नारायणजी मैथिलीक महत्वपूर्ण कवि छथि। 'कोनो टूटल अछि तन्तु' हिनक पाँचम कविता संग्रह थिक। ई मनुष्यताक क्षरणकेँ अपन कविताक मुख्य विषय बनौने छथि। हिनक कवितामे हर्ष-विषाद, सुख-दुख आ आशा-निराशाक बीच करुणासँ भिजैत मनुष्यक दर्शन होइत अछि। हिनक कवितामे प्रकृत
कथा लिखबाक क्रम मे ओकर शिल्प आ शैली पर विशेष ध्यान एहि बातक राखल जे आकार छोट रहैक। यथासम्भव संवाद द्वारा सबटा बात केँ फरिछा देल जाइक। कथा मे बेसी उतार-चढ़ाओ नहि होइक मुदा परिदृश्य एहेन रहैक जाहि सँ एकर अन्त बुझबाक लेल पाठकक जिज्ञासा बनल रहैक... आ संगह
कथा लिखबाक क्रम मे ओकर शिल्प आ शैली पर विशेष ध्यान एहि बातक राखल जे आकार छोट रहैक। यथासम्भव संवाद द्वारा सबटा बात केँ फरिछा देल जाइक। कथा मे बेसी उतार-चढ़ाओ नहि होइक मुदा परिदृश्य एहेन रहैक जाहि सँ एकर अन्त बुझबाक लेल पाठकक जिज्ञासा बनल रहैक... आ संगह
हमरा सभक सोझाँ ऋषि बशिष्ठ जीक नव रचना नाटक के रूपमे ‘सिया के सकल देखि’ आयल अछि । ई नाट्य रचना मिथिला समाजक गाम – गाम आयोजित रामलीला कम्पनीक आयोजन के बहन्नी निर्मित भेल अछि । गाममे महीना भरि आयोजित रामलीला के दौरान गामक बनैत – बिगडैत स्थिति – परिस्थित
हमरा सभक सोझाँ ऋषि बशिष्ठ जीक नव रचना नाटक के रूपमे ‘सिया के सकल देखि’ आयल अछि । ई नाट्य रचना मिथिला समाजक गाम – गाम आयोजित रामलीला कम्पनीक आयोजन के बहन्नी निर्मित भेल अछि । गाममे महीना भरि आयोजित रामलीला के दौरान गामक बनैत – बिगडैत स्थिति – परिस्थित
लघुकथाक मूल तत्व छैक व्यंग्य । व्यंग्यक धार जतेक चोखगर, लघुकथा ओतबे सफल। आ ताहि लेल लघुकथाक आकारपर कोनो निर्भरता नहि होमक चाही। हँ, इहो पाओल जाइत अछि जे व्यंग्य सिरज'मे कथाकारपर हास्य हाबी भ' जाइत छैक। ई एकटा खतरनाक स्थिति होइत छैक। एहिसँ कथाकारकेँ ब
लघुकथाक मूल तत्व छैक व्यंग्य । व्यंग्यक धार जतेक चोखगर, लघुकथा ओतबे सफल। आ ताहि लेल लघुकथाक आकारपर कोनो निर्भरता नहि होमक चाही। हँ, इहो पाओल जाइत अछि जे व्यंग्य सिरज'मे कथाकारपर हास्य हाबी भ' जाइत छैक। ई एकटा खतरनाक स्थिति होइत छैक। एहिसँ कथाकारकेँ ब
वीरेन्द्र नारायण झा एहि समयक एकमात्र एहन नाम छथि, जिनक परिचिति खाँटी व्यंग्यकारक रूपमे छनि। ओना, वीरेन्द्र बाबू लिखैत छथि वैचारिक आलेख, कथा, कविता इत्यादि सेहो, मुदा सभसँ बेसी प्रसिद्धि हिनका व्यंग्यकेँ ल’ क’ प्राप्त छनि। मैथिली आ हिन्दी मिलाक’ हिनक
वीरेन्द्र नारायण झा एहि समयक एकमात्र एहन नाम छथि, जिनक परिचिति खाँटी व्यंग्यकारक रूपमे छनि। ओना, वीरेन्द्र बाबू लिखैत छथि वैचारिक आलेख, कथा, कविता इत्यादि सेहो, मुदा सभसँ बेसी प्रसिद्धि हिनका व्यंग्यकेँ ल’ क’ प्राप्त छनि। मैथिली आ हिन्दी मिलाक’ हिनक
अपन रचनामे नव-नव कथावस्तु आ भाव-भूमि तकैत रहब जिनक लेखनक स्वाभाव छनि। नव-नव आ अद्यतन विषयसभकेँ प्रमुखतासँ अपन रचनामे समाहित कएनिहार मैथिलीक विरल साहित्यकार प्रदीप बिहारीजीक उपन्यास ‘मृत्युलीला’ विश्वक चर्चित महामारी ‘कोरोना’क त्रासदी पर केन्द्रित अछि
अपन रचनामे नव-नव कथावस्तु आ भाव-भूमि तकैत रहब जिनक लेखनक स्वाभाव छनि। नव-नव आ अद्यतन विषयसभकेँ प्रमुखतासँ अपन रचनामे समाहित कएनिहार मैथिलीक विरल साहित्यकार प्रदीप बिहारीजीक उपन्यास ‘मृत्युलीला’ विश्वक चर्चित महामारी ‘कोरोना’क त्रासदी पर केन्द्रित अछि
हास्य व्यंग्य सम्राट हरिमोहन झाक सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यंग्य पुस्तक. ई ओ कृतिकार छथि जिनका पढ़बा लेल कतेको गोटे मैथिली दिस उन्मुख भेलाह. दही चूड़ा चीनी, माछक महत्व हो आकि ब्रह्मानंद आ शास्त्रक वचन आकि आयुर्वेद, रामायण, महाभारत आदिक खट्टर कका द्वारा कयल अ
हास्य व्यंग्य सम्राट हरिमोहन झाक सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यंग्य पुस्तक. ई ओ कृतिकार छथि जिनका पढ़बा लेल कतेको गोटे मैथिली दिस उन्मुख भेलाह. दही चूड़ा चीनी, माछक महत्व हो आकि ब्रह्मानंद आ शास्त्रक वचन आकि आयुर्वेद, रामायण, महाभारत आदिक खट्टर कका द्वारा कयल अ
अनुप्रास प्रकाशन समूह अपन आरम्भहिसँ पोथी प्रकाशनक क्षेत्रमे नव-नव आयाम जोड़बाकलेल प्रयत्नशील रहल अछि। पूर्वमे प्रकाशित एहि प्रकाशनक पोथीसभकेँ पाठक आ लेखकलोकनिक अपार सिनेह भेटल अछि। एहि क्रममे प्रस्तुत अछि प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक प्रा. रामावतार यादवक 80
अनुप्रास प्रकाशन समूह अपन आरम्भहिसँ पोथी प्रकाशनक क्षेत्रमे नव-नव आयाम जोड़बाकलेल प्रयत्नशील रहल अछि। पूर्वमे प्रकाशित एहि प्रकाशनक पोथीसभकेँ पाठक आ लेखकलोकनिक अपार सिनेह भेटल अछि। एहि क्रममे प्रस्तुत अछि प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक प्रा. रामावतार यादवक 80