मैथिली लोकगीत अपनामे लोकजीवनक संस्कार,आचार-विचार,विधि-व्यवहारकेँ समेटने रहैत अछि।लोकगीत लोकक बीच स्नेह,भ्रातृत्व,सामूहिक जीवनक उल्लास एवं समरसताकेँ बढ़बैत अछि।ई लोककेँ अपन संस्कारक प्रति सचेष्ट एवं धर्मोन्मुख करैत अछि।लोकगीत दुःख-दारिद्र्य,नैराश्यक पीड़ासँ लोककेँ बचबैत अछि।तेँ,एकर संरक्षण आवश्यक अछि।गीत एहन विधा अछि जे हृदयकेँ हृदयसँ तुरत जोड़ैत अछि। मूल विषय अछि मैथिली गीत : परम्परासँ आइधरि।बहुत सहज विषय नहि अछि अपन परम्पराक जड़ि ताकब।किन्तु, मिथिलामे प्रचलित पारम्परिक लोकगीतक विपुल अंश उपलब्ध अछि जकर किछु अंशक एतय उल्लेख करब संभव अछि।एकर बाद मैथिलीक एकसँ बढ़िकय एक गीतकार भेलाह अछि जनिकर गीत लोकप्रिय भए लोकगीतक श्रेणी प्राप्त कय लेने अछि।एहि पोथीमे ओहन किछु गीतकारक नामक उल्लेख कयल गेल अछि।जनिकर गीतक पोथी प्रकाशित नहि अछि हुनका संबंधमे बेशी लिखब संभव नहि अछि। Read more