मैथिलीओ मे हमरा जतेक पढ़ल बुझल अछि रामक समानान्तर भरत सन महानायक पर आइ धरि अत्यल्पहि लिखाएलय। एहना मे कवि सतीश जी एकटा विशेष अभावक सृजनात्मक आपूर्ति कयलनि अछि। काव्य पंडित शास्त्री समेत आधुनिक पाठक समाज एहि काव्यग्रंथक स्वागत अवश्ये करथिन से हमरा आशा अछि। हम एहन नव काव्यक हृदय सँ स्वागत करै छी। आ कवि सतीश चन्द्र झा जी कें आगाँ आओर अनेक एहू सँ श्रेष्ठ रचना सँ भाषा साहित्य कें समृद्ध करबा मे संलग्न रहथि से शुभाकाँक्षा व्यक्त करैत छी। सस्नेह, —गंगेश गुंजन Read more