श्रीमद्भगवद्गीता विश्वसाहित्यक गौरव ग्रन्थ थिक। एकर अध्ययन सँ चित्तशुद्धि, उदार भावना, कर्तव्यपथक निश्चय, समताक दृष्टि, असंकीर्णता ओ सम्पूर्ण जगतक हित मे अपन हित देखबाक सामर्थ्य होइत छैक। एकर भाषा सहज संवेद्य रहने सर्वग्राह्य छैक, मुदा से दिव्यभाषा संस्कृत मे छैक। तैं संस्कृतक जे अध्ययन नहि कयने छथि तनिका लेल एकर तत्वग्रहण ओकर अनुवादे सँ सम्भव छन्हि आ तैं एकर अनुवाद विश्वक सभ भाषा मे भए चुकल अछि। मैथिली मे श्रीमद्भगवद्गीताक पद्यात्मक अनुवाद अनेक प्रकाशित अछि। परन्तु पद्यद्वारा सहजबोध सम्भव नहि अछि। विशेष जिज्ञासुक लेल व्याख्या उपलब्ध अछि, किन्तु सामान्य जिज्ञासु तँ केवल गीताक अर्थ बुझय चाहैत अछि। अतः मैथिली भाषा मे गीताक प्रत्येक श्लोकक अर्थ प्रस्तुत कयलनि अछि श्रीमती वन्दना झा। ई काज एक बड़ पैघ अभावक पूर्ति कएलक अछि। पाठ करबाक लेल मूल पाठ राखैत मूल पाँतिक स्पष्ट अर्थ पाठकक लेल बड़ उपयोगी सिद्ध होएत। एहि महत्वपूर्ण कार्यक लेल श्रीमती वन्दना झा केँ विशेष धन्यवाद, शुभकामना ओ आशीर्वाद दैत छियनि जे आओरो एहन कार्य सँ मैथिलीक भंडारक संपोषण करैत रहथु। --शशिनाथ झा Read more