लघुकथाक मूल तत्व छैक व्यंग्य । व्यंग्यक धार जतेक चोखगर, लघुकथा ओतबे सफल। आ ताहि लेल लघुकथाक आकारपर कोनो निर्भरता नहि होमक चाही। हँ, इहो पाओल जाइत अछि जे व्यंग्य सिरज'मे कथाकारपर हास्य हाबी भ' जाइत छैक। ई एकटा खतरनाक स्थिति होइत छैक। एहिसँ कथाकारकेँ बचबाक चाही। प्रस्तुत संग्रह 'भाइरस'मे कथाकार एहि मामिलामे सतर्क देखाइत छथि। कथामे विवशता, करुणा आ भाइरसक भयसँ उत्पन्न स्थितिकेँ कथाकार पोथीक शीर्षककथा 'भाइरस'क अंतमे कहैत छथि- 'लोक देखलकैक— बिनु हवाक टायरबला स्कूटरपर मरल बापकेँ लदने टेकनाथ अपन पत्नीक संगे ठेलि-ठूलि क’ जा रहलाह। लखनदेइक कातमे खधिया कोड़ि बापकेँ गाड़ि अयलाह। केम्हरोसँ कोनो खोज-पुछारि नहि। भाइ-रस सुखा गेलैक। भाइरस ग्रसने छैक।' एकटा कथा 'कोरोना वारियर'मे डाक्टरक प्रति आम लोकक विरोध एहि बातसँ स्पष्ट होइत अछि - नायकक ई सी जी नहि होयबाक कारणें प्रधानमंत्रीकेँ पत्र लिखब जे डाक्टर सभक लाइसेंस कैंसिल करथि। ओकरा कोरोना वारियर नहि कहथि। Read more