एहि संग्रह मे समयानुसार बदलैत लेखकक विभिन्न मन:स्थिति आ परिस्थिति मे सृजित कविताक संकलन अछि जाहि मे कतहु प्रणयाकुल ओ विरहाकुल नायक/नायिकाक आंतरिक उल्लास वा मनोव्यथा केर शब्दांकन भेटत तँ कतहु वर्तमान सामाजिक ओ राजनैतिक विसंगति पर चोट करैत भावक अनुभूति होएत। किछु कविता मे भक्ति रसक सरसता भेटि सकैए तँ संगहि किछु एहनो कविता छैक जाहि मे अनुप्रास वा अन्य अलंकारक शास्त्रीयता भेटत। संगहि इहो एकटा सत्य थिक जे एहि संग्रह ‘तोरे सँ’ मे आएल विभिन्न आकार-प्रकारक सड़सठि टा कविता 2015 मे भेल हमर लेखनक आरम्भ सँ एखन धरि आठ साल मे आएल हमर लेखकीय शैली, विषय आ शब्दभंडार मे क्रमिक परिवर्तन केर सेहो प्रतिनिधित्व करत। Read more