अभिषेक जीक कविता सभ पाठककें संवेदनशील बनबैत अछि। अपन सहज प्रस्तुति आ सरल शब्दक संग कविता सभ कथ्यकें पाठक धरि सुगमतासँ पहुँचेबामे पूर्ण सक्षम अछि। अपन सहज प्रवाह आ प्रचलित शब्द विन्यासमे कविता पाठककें चिंतन पर बाध्य करैत अछि। आ ई सभटा मिलि कविताकें सफल बनबैत अपन लक्ष्य धरि पहुँचबैत अछि। साहित्यक काज समाजक अएना बनबसँ अधिक समाजकेँ उचित मार्ग देखाएब अछि। अपन ई मूल काज साहित्य सभ दिनसँ करैत आबि रहल अछि, एखनो कऽ रहल अछि। आ से प्रस्तुत संग्रह तकरा प्रति आओरो आश्वस्त करैत अछि। संग्रहक कविता सभ सामान्यसँ विशिष्ट पाठक धरिक लेल समान रूपें पठनीय अछि। आधुनिक कविता पर पाठकसँ दूर रहबाक आरोपकें हिनक कविता सभ खारिज करैत अछि। हमर विश्वास अकारण नहि अछि जे पाठक हिनक एहि कविता संग्रहक सेहो स्वागत करताह। कविकेँ अशेष बधाइ ओ शुभकामना। — मिथिलेश कुमार झा Read more