वन्दना झा लिखित मैथिली बाल कविता संग्रह Read more
एहि संग्रह मे समयानुसार बदलैत लेखकक विभिन्न मन:स्थिति आ परिस्थिति मे सृजित कविताक संकलन अछि जाहि मे कतहु प्रणयाकुल ओ विरहाकुल नायक/नायिकाक आंतरिक उल्लास वा मनोव्यथा केर शब्दांकन भेटत तँ कतहु वर्तमान सामाजिक ओ राजनैतिक विसंगति पर चोट करैत भावक अनुभूति
श्रीमद्भगवद्गीता विश्वसाहित्यक गौरव ग्रन्थ थिक। एकर अध्ययन सँ चित्तशुद्धि, उदार भावना, कर्तव्यपथक निश्चय, समताक दृष्टि, असंकीर्णता ओ सम्पूर्ण जगतक हित मे अपन हित देखबाक सामर्थ्य होइत छैक। एकर भाषा सहज संवेद्य रहने सर्वग्राह्य छैक, मुदा से दिव्यभाषा स
कविता : भाषा, भाव और व्याकरण की त्रिवेणी से अवतरित होती है जिसमें कालांतर में घटने वाले प्रकरण या व्यावहारिक सोच-विचारादि का बिम्बित होना स्वाभाविक है। मधुयामिनी काव्य में वर्तमान युगीन कवि के द्वारा रीतिकाल सदृश कल्पना की अभिव्यंजना एवम् भावाभिव्यंज
NA
NA
‘डीह’ उपन्यासमे लेखिकाकेँ नायक छन्हि डीह स्वयं! आर खलपात्र छन्हि परिस्थिति! जौं डीह परक लोककेँ आधुनिक समयसँ डेग मिला क’ चलक होइन्ह त’ से विलग होमहि पड़तैन्ह। एकटा विस्तृत कालखंड के समेटने छैक डीह। आज़ादी के समयसँ आइ धरि जखन लोक बेगरता लेल कि सुविधा ल
‘हमहूँ जेबै इसकुल‘ मनोज कामत द्वारा लिखित एकटा बाल-नाटक अछि। जे मीना मंचसँ प्रभावित भ‘लिखल गेल अछि। मीना मंच बिहार सरकार शिक्षा विभागक एक कार्यवाही अछि। जे केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा यूनिसेफकेँ मदतिसँ चलाओल जा रहल अछि। कोनहु राष्ट्रक विकासक
वीरेन्द्र नारायण झा एहि समयक एकमात्र एहन नाम छथि, जिनक परिचिति खाँटी व्यंग्यकारक रूपमे छनि। ओना, वीरेन्द्र बाबू लिखैत छथि वैचारिक आलेख, कथा, कविता इत्यादि सेहो, मुदा सभसँ बेसी प्रसिद्धि हिनका व्यंग्यकेँ ल’ क’ प्राप्त छनि। मैथिली आ हिन्दी मिलाक’ हिनक
पुस्तक मे संकलित कविता सब पढला संता स्पष्ट भए जाइत छैक जे कवयित्री लग ने तँ भावक अभाव बुझना जाइत अछि आ ने सुललित आ संतुलित शब्दभंडारक सहयोग सँ ओकरा प्रस्तुत करबाक कौशल मे कोनो प्रकारक असमंजस। आ ओही कौशल केर चमत्कार अछि जे पुस्तक केँ हम आद्योपांत कतेक
जखन कखनो कोनो नव नाटक लिखबाक विचार अबैत अछि, नाना तरहक प्रश्न मोन मे घुरियाए लगैए। नाटक किए लिखै छी? ककरा ले लिखै छी? जत’ सिनेमा, दूरदर्शन ओ मोबाइल सन उत्कृष्ट मनोरंजन केर साधन उपलब्ध छै ओत’ नाटक के देखत? किए देखत? मुदा तखनहि हमर रंगमंचीय अनुभव कहि उ
झारखण्ड सरकारमे डिविजनल कमाण्डेंटक पदसँ सेवानिवृत्त मैथिली आ हिंदीक प्रतिष्ठित कवि, कथाकार आ उपन्यासकार श्याम दरिहरे जीक तीन गोट कथा-संग्रह ‘सरिसोमे भूत’, ‘बड़की काकी एट हॉट मेल डॉट कम’ आ ‘रक्त सम्बन्ध’ प्रकाशित आ प्रशंसित कृति छनि। उपन्यास ‘घुरि आउ
NA
मुक्ता मिश्रा साहित्यक क्षेत्र मे भने नव होइथ, मुदा साहित्य तँ हिनका खून मे छनि। छिटपुट रचना पत्र-पत्रिका मे प्रकाशित। पिता महान साहित्यकार राजकमल चौधरी आ पति स्व. बीरेंद्र मिश्राक मृत्योपरांत जे कटु अनुभव भेटलनि तकर मार्मिक वर्णन अद्भुत रुपें एहि पो
गीताक संस्कृत अत्यंत सारगर्भित आ गंभीर छैक। युगानुयुग सँ विद्वद्गण, साधक, आ भक्तगण एकर सही अर्थक संधान मे बहुतो भाष्य, टीका, आ व्याख्याक रचना केने छथि। ओहि मे विचारभेदक आधार पर अध्यात्म आ धर्मक स्वतंत्र विचारधारा यथा अद्वैत, द्वैत, विशिष्टाद्वैत, आदि